इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) को हाल के वर्षों में वज़न घटाने के एक चर्चित ट्रेंड के रूप में जाना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फास्टिंग तरीका टाइप 2 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने, यहाँ तक कि कुछ मामलों में रिवर्स करने में भी सहायक हो सकता है? रिसर्च बताती है कि इससे इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है, ब्लड शुगर लेवल में सुधार आता है और दवाओं पर निर्भरता कम हो सकती है। आइए जानते हैं इस पर आधारित वैज्ञानिक तथ्य।
1. इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग में मुख्य जोर खाने के समय पर होता है, न कि खाने की मात्रा या प्रकार पर। इसके मुख्य प्रकार हैं:
- टाइम-रिस्ट्रिक्टेड फीडिंग (16:8) – 24 घंटे में 8 घंटे खाने और 16 घंटे उपवास का पैटर्न
- 5:2 डाइट – सप्ताह में 5 दिन सामान्य भोजन और 2 दिन केवल 500-600 कैलोरी
- ऑल्टरनेट डे फास्टिंग – एक दिन खाना और अगले दिन फास्टिंग या बहुत कम कैलोरी
ये तरीके शरीर को लंबे समय तक बिना भोजन के रहने देते हैं, जिससे शरीर की ग्लूकोज़ और फैट प्रोसेसिंग बेहतर होती है।
2. रिसर्च क्या कहती है?
Medical News Today के मुताबिक हाल की क्लीनिकल स्टडीज़ में टाइप 2 डायबिटीज़ पर इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) के प्रभाव बेहद सकारात्मक रहे हैं:
🔹 400 मरीजों पर की गई एक स्टडी में 5:2 फास्टिंग को डायबिटीज़ की दवाओं (जैसे मेटफॉर्मिन और एम्पाग्लिफ्लोज़िन) से तुलना की गई।
🔹 इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) ग्रुप में HbA1c लेवल में अधिक गिरावट देखी गई, यानी लंबे समय का शुगर लेवल बेहतर हुआ।
🔹 उनका औसत वजन लगभग 10 किलो तक घट गया।
🔹 कमर की चौड़ाई, बीपी और कोलेस्ट्रॉल में भी सुधार हुआ।
निष्कर्ष: इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) दवाओं के मुकाबले बेहतर या समान परिणाम दे सकता है – खासकर शुरुआत में।
3. क्या डायबिटीज़ रिवर्स हो सकती है?

एक चीनी स्टडी में 3 महीने इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) अपनाने वाले लगभग आधे मरीजों को दवाओं की ज़रूरत नहीं रही, और एक साल बाद भी कई मरीज बिना दवाओं के स्वस्थ थे।
एक अन्य केस स्टडी में तीन इंसुलिन पर निर्भर मरीज इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) शुरू करने के एक महीने के भीतर ही इंसुलिन बंद करने में सफल रहे। उनका वजन, ब्लड शुगर और कमर की माप में भी गिरावट देखी गई।
4. इंटरमिटेंट फास्टिंग कैसे असर करती है?
✔️ इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है – उपवास के समय इंसुलिन लेवल गिरता है, जिससे कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनती हैं।
✔️ फैट लॉस होता है – खासतौर पर लिवर और पैंक्रियास के पास जमा फैट घटता है, जिससे इन अंगों की कार्यक्षमता सुधरती है।
✔️ मेटाबोलिक स्विचिंग – शरीर ग्लूकोज़ के बजाय फैट और कीटोन का उपयोग करने लगता है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित होता है।
✔️ हार्मोन बैलेंस – इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) शरीर की घड़ी (सर्कैडियन रिद्म) को रीसेट कर भूख, तृप्ति और मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करता है।
5. टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग (उपवास) शुरू करने से पहले क्या करें?
⚠️ डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें, खासकर यदि आप दवा या इंसुलिन पर हैं।
📉 ब्लड शुगर मॉनिटरिंग करें।
⏳ धीरे-धीरे शुरुआत करें, जैसे 12:12 या 14:10 पैटर्न से।
🥗 न्यूट्रिएंट-रिच डाइट लें – फाइबर, लीन प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष
इंटरमिटेंट फास्टिंग, विशेष रूप से नई डायबिटीज़ डाइग्नोसिस वाले लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण हो सकती है। यह कोई चमत्कारी इलाज नहीं है, लेकिन यह शुगर कंट्रोल, वजन घटाने और दवाओं से छुटकारा पाने में मददगार हो सकता है।
हालांकि, इसे अपनाने से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ की निगरानी और उचित प्लानिंग ज़रूरी है। हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी भी डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्लान को अपनाने से पहले व्यक्तिगत सलाह लेना ज़रूरी है।
(स्रोत: Medical News Today)